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बेटी को गाजे बाजे के साथ ससुराल से विदा कराया ,दहेज और बेटी पेदा होने पर पति - ससुरालजन कर रहे थे प्रताड़ित

कानपुर में दहेज प्रताड़ना के बाद बेटी को बैंड-बाजे के साथ वापस बुलाने का अनोखा मामला सामने आया है। पति और ससुरालियों के प्रताड़ना की इंतहां होने के बाद बेटी को तलाक दिलाया और फिर जिस तरह से उसे गाजे-बाजे के साथ धूम-धाम से विदा किया था। ठीक इसी तरह गाजे-बाजे के साथ उसे ससुराल से विदा कराकर वापस ले आए। पिता का हौसला देखकर मोहल्ले के लोगों ने ही पूरा शहर व प्रदेश और देश के लोग सराहना कर रहे हैं।
निराला नगर दीप सिनेमा के सामने रहने वाले बीएसएनएल से रिटायर कर्मचारी अनिल कुमार सविता ने बताया कि उनकी इकलौती बेटी 36 साल की उर्वी इंजीनियर है। दिल्ली के पालम एयरपोर्ट पर मौजूदा समय में कार्यरत है। उन्होंने बेटी की शादी 2016 में चकेरी के विमान नगर निवासी गोपाल प्रसाद के बेटे कंप्यूटर इंजीनियर आशीष रंजन से की थी। दोनों दिल्ली में ही नौकरी करते थे, शादी के बाद दोनों एक साथ दिल्ली में ही रहने लगे। अनिल कुमार और उनकी बेटी उर्वी का आरोप है कि शादी के बाद ही ससुराल वाले दहेज को लेकर प्रताड़ित करने लगे।
दहेज में कार और फ्लैट की डिमांड शुरू कर दी। इतना ही नहीं बेटी के रंग-रूप को भी लेकर पति और ससुराल वालों ने ताना मारना शुरू कर दिया। आए दिन मारपीट और घर से भगा देने पर मायके वालों ने बेटी के नाम दिल्ली में एक फ्लैट खरीद दिया। बेटी ने जन्म लिया तो पति और ससुरालियों की प्रताड़ना और बढ़ गई, उत्पीड़न की सभी हदें पार कर दीं। उनका कहना था कि फ्लैट पति के नाम कर दिया जाए। दामाद और बेटी के ससुरालियों की हरकतों से आजिज होकर अनिल कुमार ने बेटी को मायके बुला लिया और कोर्ट में तलाक के लिए केस फाइल कर दिया। 28 फरवरी को कोर्ट से दोनों का तलाक हो गया था। इसके बाद शनिवार को उर्वी दिल्ली से कानपुर पहुंची।
इसके बाद उर्वी अपने माता-पिता और रिश्तेदारों को रविवार दोपहर को चकेरी के मलिक गेस्ट हाउस में इकट्‌ठा किया। वहां से सभी लोग एक साथ ससुराल पहुंचे और गाजे-बाजे के साथ मोहल्ले के लोगों को बताया कि उनकी बेटी का तलाक हो गया है। अब वह इस घर में कभी लौटकर नहीं आएगी। इस दौरान भी उर्वी खुद को संभाल नहीं सकी और उसके आंशू छलक पड़े, लेकिन ससुराल से कोई भी घर से बाहर नहीं निकला। बस छत पर जेठानी गीता एक बार आई और फिर लौट गई। इसके बाद उर्वी ने अपनी शादी के दौरान सुहागन वाली चुनरी भी गेट पर बांध दी और वहां से लौट आई। मोहल्ले और कानपुर के लोगों ने पिता के हौसले को सलाम किया। जो इस तरह से बेटी को दलदल से पूरे सम्मान के साथ वापस घर लाए।
तलाक लेने वाली उर्वी के पिता ने बताया कि अगर दंपति में मन-मुटाव है। दोनों की किसी भी वजह से नहीं बन रही है तो उस प्रताड़ना के दलदल से बाहर निकल आना ही बेहतर है। अगर जबरन साथ में रखने और संबंध बनाने के दबाव में ही सुसाइड केस और मर्डर की नौबत आती है। अगर आपकी बेटी के साथ ही प्रताड़ना की जा रही है तो बेहतर है कि उसे वापस अपने घर बुलाएं। अगर बेटी चाहती है तो दोबारा उसका घर बसाएं।
उर्वी ने समाज को संदेश देते हुए कहा कि विषम परिस्थितियों में माता-पिता अपनी बेटी का साथ नहीं छोड़ें। उसे बोझ न समझें। समाज में आज भी लड़कियों की दशा बहुत दयनीय है। इस जैसे परिवार जो बहुओं को सताते हैं, बहुत हैं। उन लड़कियों के माता-पिता से अनुराेध है कि वे ऐसी विषम परिस्थितियों में बेटियों का साथ नहीं छोड़ें। इस तरह के दहेज लोभियों का पर्दाफास करें। इससे कि बेटियों का जीवन बर्बाद होने से बच सके।

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